दो-तीन दिन पहले अपने नजदीकी रिलायंस फ्रेश स्टोर में सब्जी लेने गया था। और वहाँ पर पैक्ड गोभी के एक पैकेट पर नज़र पड़ी और ठहर गयी। २ और पैकेट पड़े थे उनको भी उठाकर देखा और सारा खेल समझ में आ गया।
हर पैकेट पर लगे लेबल को इस तरह से फाड़ दिया गया था कि उसकी 'बेस्ट बिफ़ोर डेट' (यानी कब तक प्रयोग के लिए सुरक्षित है) नहीं पढ़ी जा सके। मैंने उसी समय कुछ फ़ोटो खीच लिए:
स्वयं ही देखिये। मैंने स्टोर के स्टाफ से इस बारे में पूछा लेकिन उनके पास कोई संतोषजनक जवाब नहीं था। वैसे भी रिलायंस फ्रेश में कस्टमर केयर (ग्राहक सेवा) जैसा तो कुछ होता नहीं है, न ही कोई ईमेल या वेबसाइट जहाँ शिकायत दर्ज की जा सके। क्या आप यकीन कर सकते हैं कि इतनी बड़ी रीटेल चेन और उसकी अपनी कोई वेबसाइट नहीं!
core.nic.in पर दर्ज की मैंने शिकायत
"सबसे कम भरोसेमंद हैं रिलायंस की कंपनियाँ" : मिंट सर्वेक्षण
14 टिप्पणियां:
रिलायंस जैसे कंपनियों से इससे ज्यादा उम्मीद करना मूर्खता है...
उन्होंने दुनिया को ऐसे ही मुट्ठी में नही कर रखा है.
ऊंची इमारतें ऐसे ही नहीं बनती हैं मित्र, किसी का लेबल फाड़ना पड़ता है किसी पर चिपकाना पड़ता है.
bahut sahi jaankaari de aapne..
ham bhi aage se dhayan rakhenge..
इसमें तो देख सकते है कि सब्जी की हालत कैसी है, मगर उसका क्या जिसमें उपयोग करने योग्य तिथि निकल जाने के बाद सामान को पूनः नए पैक में डाल कर बेचा जाता है?
बेईमानी है....
आज ब्रांडेड वस्तुओं के पीछे लोगो की जो दीवानगी बनती जा रही है , उसे खारिज करने के लिए आपके द्वारा दी गयी जानकारी पर्याप्त है।
रिलायंस फ़्रेश ही नहीं और भी कई ऐसे रिटेल शॉप हैं जो इस तरह की धांधलियाँ करते हैं। सबसे बड़ी मुश्किल ये हैं कि ग्राहक ही अपने आप में इतने जागरूक नहीं हैं कि कोई शिकायत करें।
अजी बात केवल रिलायंस फ्रेश की ही नहीं है.विकास के नाम पर पाश्चात्य संस्कृ्ति के अंधानुसरण से शुद्धता एवं सर्वसुलभता की उम्मीद करना नितांत बेमानी है.
@ शर्मा जी : मैं आपसे सहमत नहीं हूँ। बेईमानी तो बेईमानी है चाहे रिलायंस फ्रेश में हो जिसे आप 'पाश्चात्य संस्कृति' का अन्धानुकरण कह लें, या छोटी सी किराने की दूकान पर। इसलिए सभ्यता और संस्कृति को इस बहस से अलग रखना ही सही होगा।
@ दीप्ति जी : बिल्कुल सही कहा आपने। हम ही लोग ढीले पड़ जाते हैं, लेकिन मैं इतनी आसानी से इनका पीछा नहीं छोड़ रहा। सरकार द्वारा चलाई जा रही core.nic.in पर शिकायत दर्ज कर दी है। और ये वेबसाइट वाकई मददगार होती है। पर्सनल अनुभव है :)
@ संगीता जी: जो भी कहें, सुविधा से कौन परहेज करता है!
@ common man, रंजना जी, संजय जी: बिल्कुल सही कहते हैं।
@ अमित: धन्यवाद :)
मेरा अपना अनुभव तो यही है कि व्यावसायिक नैतिकता के मामले में रिलायंस से सामान्य सी उम्मीद रखना भी मूर्खता ही है।
इस जानकारी के लिए कोटिशः आभार. अब हम भी भक्तों को बताने की स्थति में आ गए. पुनः आभार.
http://mallar.wordpress.com
भाई आज ही रिलायंस फ़्रेश मे गये थे, पालक की दो गड्डियां ले आये . उपर उपर तो फ़्रेश था, अंदर बिल्कुल सडा हुआ निकला, घरवाली की दो गालियां सुनी, जेब के पैसे गये, अब बताओ ,क्या करें?
रामराम.
नाम बड़े पर दर्शन छोटे वाला हाल है जी। आपने सजग उपभोक्ता की जिम्मेदारी निभाई है।
सही कहते हैं सुशांत जी। पर फ़िर भी हम रिलायंस के शेयर खरीदते हैं, उनकी दुकानों में शौपिंग करते हैं!
ताऊ जी, मेरी मम्मी हमेशा पापा को सुनाती थी की सब्जी ज़रा हाथ लगा के लिया करो, सब्जी वाले भी यही धाँधली करते थे!! चलिए ताई की बात अब हमेशा याद रखियेगा :)
जीतेन्द्र जी, सुब्रमण्यम साब: आपको बहुत धन्यवाद!
कमाल है यहाँ भी चोरबजारी !!
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