सोमवार, 30 मार्च 2009

क्या मीडिया वाकई पक्षपाती है?

एन डी टी वी इंडिया पर एक चर्चा में अगर ज़िक्र नहीं आता तो मुझे तो शायद इस घटना का पता भी नहीं चलता। (मालूम नही कि आपको पता है कि नहीं!) चुनाव आयोग ने कोंग्रेस के इमरान किदवई को एक चुनाव सभा में धार्मिक मुद्दे पर बोलने के लिए नोटिस जारी किया है। किदवई साहब ने इस भाषण में कहा कि अगर वो मुफ्ती होते तो फतवा जारी कर देते कि मुस्लिमों के लिए बी जे पी को वोट देना 'कुफ्र' के बराबर है।

मुझे आश्चर्य है कि इस घटना को मीडिया ने लगभग नज़रंदाज़ कर दिया है। हलाँकि व्यक्तिगत तौर पर मुझे लगता है कि यह भाषण वरुण गाँधी के भाषण के मुकाबले कुछ भी नहीं है और न इसमे किसी अन्य धर्म के विरुद्ध कोई बात कही गयी है और सबसे बड़ी बात किदवई साहब के नाम में 'गांधी' नहीं है! लेकिन कोई भी दलील इस बात को नहीं झुठला सकती कि मीडिया ने इमरान किदवई और कोंग्रेस को लगभग क्लीन चिट दे दी है।

ये बात छोटी लग सकती है लेकिन फ़िर मीडिया हिन्दुओं के विरूद्ध पक्षपात के आरोपों से बच नहीं सकता।

शनिवार, 21 मार्च 2009

जैसे हम, वैसे हमारे नेता

चलो अब मेनका गांधी खुश होंगी। इतने साल से बेटे का कैरियर बनाने में लगी थीं, कुछ हो नहीं रहा था। कोई नाम तक नहीं जानता था।

लेकिन अब घर घर में बेटा चर्चा का केन्द्र बना हुआ है। राजनीति में सही तरीके से अब पदार्पण हुआ है। भड़काऊ भाषण बाज़ी, पकड़े जाने पर झूठ बोलना और फ़िर हिंदुत्व का सहारा लेकर ख़ुद को बेक़सूर साबित करना। बी जे पी के पास इतने दिन से कोई युवा नेता नहीं था, चलो अब एक तो मिल गया।

टी.वी चैनल भले ही भाषण पर आँखें तरेर रहे हों लेकिन, लगातार कवरेज़ कर के उन्होंने एक और नरेन्द्र मोदी पैदा कर दिया। अभी ही हिंदुस्तान टाइम्स में पढ़ा कि पीलीभीत की जनता का ध्रुवीकरण (पोलराईजेशन) हो चुका है, जैसे मोदी साहब ने गुजरात का किया है। ibnpolitics.com पर एक समय जहाँ इन 'नेता जी' का प्रोफाइल तक नहीं था, अब ५०००० से ज़्यादा लोगों ने उनको वोट किया है (लगभग २५००० उनको पसंद करते हैं और लगभग १६००० नापसंद)। शायद यही वजह थी कि पहले तो हो-हल्ले से घबरा कर पार्टी ने ख़ुद को भाषण और भाषण देने वाले से अलग रखने की कोशिश की लेकिन वो बहुत जल्दी समझ गए कि 'बदनाम भी होंगे तो क्या नाम न होगा' और तुरंत ही इन श्रीमान को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया!

जो लोग इनको पसंद करते हैं वो इनके भाषण को भूल कर इनकी प्रेस कांफ्रेंस में कही गयी बातों को तवज्जो देते हैं। ये हिंदू हैं, भारतीय हैं और गांधी हैं। सबसे बड़ी बात कि नेता हैं। इनकी कही हर बात को सुनाने दिखने के लिए १५० चैनल और ५० अखबार हैं और बेवकूफ बनकर आपस में लड़ मरने के लिए ११० करोड़ हिन्दुस्तानी। अभी ४ महीने पहले ही २६/११ के बाद हम सबने कसमें खाई थीं कि अब जाति-धर्म नाम पर नहीं लडेंगे, एक रहेंगे और ऐसे नेताओं को और ऐसी बंटवारे की राजनीति को ख़त्म करेंगे। और अब हम 'पढ़े-लिखे' कल्चर्ड लोग फ़िर से कठपुतली बन कर नाचने को तैयार हैं।

किस मुंह से नेताओं को गाली देते हैं हम जब हम ख़ुद ही ऐसी दोगली बातें करते हैं।

नेता जी की जेल यात्रा: बेल की अर्जी, शहादत का अंदाज़!