शनिवार, 12 दिसंबर 2009

जब शब्द कम पड़ जाते हैं....

जिसने कभी कहा कि एक तस्वीर हजारों शब्दों से बढ़कर होती है वो ज़रूर एक ऐसा आलसी लेखक होगा जो एक लम्बी यात्रा पर गया और बहुत सारी फ़ोटो खीचीं। वापिस आने के बाद लिखने बैठा तो समझ नहीं पाया कि क्या क्या लिखे और सोचा चलो बस फ़ोटो ही दिखा दो!

इसलिए अब ज़्यादा बातें बनाये बिना सीधे सीधे मेरी १० दिन की कोलकाता-न्यू जलपाईगुड़ी-दार्जिलिंग-माने भंजन-धोत्रे-टुन्ग्लू-टुम्लिंग-काली पोखरी-संदकफू-गुर्दूम-रिम्बिक-दार्जिलिंग-कोलकाता यात्रा के फ़ोटो संग्रह