बुधवार, 21 जनवरी 2009

मेरी पहली फ़िल्म: यू, मी एंड डीवाईपीसी

बचपन से ही फ़िल्म डाइरेक्टर बनने का ख्वाब था, जो सिर्फ़ ख्वाब ही रहा। टाटा इंडिकॉम का ऐड देखा 'सुनो दिल की आवाज़'। सो मैंने सोचा दिल की आवाज़ सुनने का इससे अच्छा टाइम नहीं मिलेगा, रिसेशन का ज़माना है, कल को कंपनी निकाल दे तो कुछ तो और ऑप्शन रहना चाहिए न। सो जी मैं बन गया डाइरेक्टर! और प्रोड्यूसर, और राइटर, और कैमरा मैन , और एडिटर और वगैरह वगैरह...

वापिस ज़मीन पर आ जाओ। कुछ समय पहले आपको एक नयी साइट के बारे में बताया था न, DonateYourPC.in, तो उसी के प्रमोशन के लिए ये छोटा सा विडियो अपने ऑफिस के साथियों की मदद से बनाया। एक नज़र देखिये और अपनी राय ज़रूर दीजियेगा।

रविवार, 11 जनवरी 2009

ऐसे ठगता है रिलायंस फ्रेश!

दो-तीन दिन पहले अपने नजदीकी रिलायंस फ्रेश स्टोर में सब्जी लेने गया था। और वहाँ पर पैक्ड गोभी के एक पैकेट पर नज़र पड़ी और ठहर गयी। २ और पैकेट पड़े थे उनको भी उठाकर देखा और सारा खेल समझ में आ गया।
हर पैकेट पर लगे लेबल को इस तरह से फाड़ दिया गया था कि उसकी 'बेस्ट बिफ़ोर डेट' (यानी कब तक प्रयोग के लिए सुरक्षित है) नहीं पढ़ी जा सके। मैंने उसी समय कुछ फ़ोटो खीच लिए:

स्वयं ही देखिये। मैंने स्टोर के स्टाफ से इस बारे में पूछा लेकिन उनके पास कोई संतोषजनक जवाब नहीं था। वैसे भी रिलायंस फ्रेश में कस्टमर केयर (ग्राहक सेवा) जैसा तो कुछ होता नहीं है, न ही कोई ईमेल या वेबसाइट जहाँ शिकायत दर्ज की जा सके। क्या आप यकीन कर सकते हैं कि इतनी बड़ी रीटेल चेन और उसकी अपनी कोई वेबसाइट नहीं!
core.nic.in पर दर्ज की मैंने शिकायत
"सबसे कम भरोसेमंद हैं रिलायंस की कंपनियाँ" : मिंट सर्वेक्षण

बुधवार, 7 जनवरी 2009

सत्यम शिवम् ... 'सुन्दरम'? फिलहाल तो नहीं!

राजू का झूठ खुलने के बाद 'सत्यम' ने अपना नाम बदल लिया है। नया नाम और लोगो पहले से ज़्यादा बदला नहीं है: