रविवार, 28 अगस्त 2022

संतोष

"अरे आप लोग ये भरत मिलाप अब ख़त्म करिये नहीं तो फ्लाइट छूट जानी है!"

यतिन की आवाज़ में थोड़ी झुंझलाहट स्पष्ट थी. कैब ड्राइवर प्रतीक्षा कर रहा था और अब तक दो बार फोन कर चुका था. वैसे भी शाम का समय था और ट्रैफिक बढ़ ही रहा था. एयरपोर्ट पर हबड़ा-धबड़ी उसको बिलकुल पसंद नहीं थी इसलिए उसे थोड़ा जल्दी निकल कर चेक इन और सुरक्षा जांच वगैरह समय से खत्म करने की आदत थी.

दामाद जी की आवाज़ की तल्ख़ी ने "भरत मिलाप" पर ब्रेक लगा दिए. आँखों में आंसू भरे सास जी ने अपनी ६ महीने की नातिन को आखिरी बार गले से लगाया और बेटी को थमा दिया। ससुर जी और यतिन २ सूटकेस और १ बैग (जिसमें सिर्फ़ बच्ची के कपड़े, डायपर और बोतल आदि थे) लाद कर चले. सारा सामान कैब में रखा गया और अश्रुपूरित अलविदा के साथ गाड़ी एयरपोर्ट की तरफ़ रवाना हो गयी. 

और इस प्रकार यतिन बाबू, अपना ५ महीने का ब्रह्मचर्य जीवन समाप्त कर वापिस गृहस्थाश्रम में प्रवेश करने चले. 

बेटी के जन्म के एक महीने बाद ही यतिन ने अपनी पत्नी चित्रा को उसके मायके पहुंचा दिया था. बीच में एक बार आ कर बिटिया को देख भी गया था. अब चित्रा की मैटरनिटी लीव समाप्त होने को थी और हालांकि वो कोशिश कर रही थी कि छुट्टी कुछ दिन और बढ़ जाए, उसने वापिस बैंगलोर अपने घर आने का मन बना लिया था. 

गोद में छोटा बच्चा होने का फ़ायदा और कहीं हो न हो, एयरपोर्ट पर तो शर्तिया होता है. यतिन और चित्रा को भी हुआ और चेक इन और सुरक्षा जांच समय से पहले निपटा लिए गए और अब विमान में बोर्डिंग के लिए पौन घंटे से ज़्यादा का समय बाकी था। बोर्डिंग गेट के पास पहुँच कर चित्रा बेटी और बैग को ले के एक सीट पर बैठ गयी. वैसे तो घर से चाय वगैरह पी के ही चले थे पर फिर भी यतिन के पूछने पर उसे कॉफ़ी लाने के लिए बोल ही दिया। 

यतिन कॉफ़ी लेने गया तो काउंटर पर ज़्यादा भीड़ नहीं थी. सिर्फ़ एक लड़की थी. 

और उस एक पल में यतिन को लगा कि उस पूरे एयरपोर्ट पर बस वही एक थी. लाल रंग का कुरता और जींस, लम्बे बाल जिनको तरतीब से खुला छोड़ दिया गया था और चेहरा ऐसा कि यतिन समझ नहीं पा रहा था कि देखता रहे या एक बार देख के आँखों में बसा ले!

यतिन वैसे तो चित्रा से काफ़ी प्यार करता था और ऐसा कोई दिलफेंक आशिक़ भी नहीं था कि हर आती जाती लड़की को घूरने लगे पर जैसा कि बिनाका गीत माला से ले कर रेडियो मिर्ची टॉप २० तक हर रोमैंटिक फ़िल्मी गीत ने हमें सिखाया है कि दिल पर किसका ज़ोर चलता है. यतिन का दिल भी कोई अपवाद नहीं था. 

उसने अपने दिमाग़ को समझा लिया कि उस लड़की को देख कर वो कोई ग़लत काम नहीं कर रहा. बस देख ही तो रहा है. मन में कोई गलत भावना तो है नहीं। किसी की सुंदरता की मन ही मन प्रशंसा करना कोई गलत बात तो है नहीं ख़ासकर अगर किसी को कोई समस्या न हो. और एक बार ये ट्रम्प कार्ड फेंकने के बाद दिमाग के पास कोई और पत्ता नहीं बचा. 

चित्रा को कॉफ़ी दे कर वो फिर से टहलने के बहाने उस लड़की को कनखियों से देखता रहा. कल्पना के घोड़े अब बेलगाम दौड़ रहे थे. कैसा होता अगर वो लड़की भी उसकी फ्लाइट में होती और उन दोनों की सीट्स भी साथ में। उसे वो सारी फिल्में याद आने लगीं जब हीरो हीरोइन ट्रेन या फ्लाइट में साथ बैठें होते हैं और बातों ही बातों में बात कहीं से कहीं पहुँच जाती है. 

एक पल के लिए वो भूल गया कि आज उसके साथ चित्रा और उसकी छोटी बच्ची भी हैं. 

बोर्डिंग की घोषणा हो गयी और गेट के सामने लाइन बनने लगी. यतिन भी चित्रा और बेटी के साथ लाइन में लग गया. थोड़ी देर पहले के ख़्वाब, आखिर ख़्वाब ही थे और अपनी अंतिम गति को प्राप्त हो चुके थे. 

प्लेन में जब वो अपनी निर्धारित सीट पर पहुंचा तो उसे झटका लगा. उस लड़की की सीट वास्तव में उसके साथ वाली ही थी! उसने एक बार फिर से बोर्डिंग पास में सीट नंबर देखा कि कहीं ग़लती तो नहीं हो गयी. कोई ग़लती नहीं थी. यतिन और चित्रा की विंडो और मिडिल सीट्स थीं, लड़की की आइल सीट. यतिन विंडो सीट पर बैठा। कुछ सपने, वास्तविकता में दुःस्वप्न हो सकते हैं इसलिए उनको आँखों में बंद कर के रखना ही बेहतर होता है.

प्लेन उड़ने के थोड़ी देर बाद ही बच्ची बेचैन होने लगी. चित्रा उसको चुप कराने के लिए दूध पिलाने लगी लेकिन बच्ची पर कोई फ़र्क नहीं पड़ा. चित्रा उसको बाथरूम ले कर गयी और डायपर बदल कर लाई. लड़की ने उसके आते और जाते समय अपनी सीट से हट कर उसे रास्ता दिया। 

यतिन को शर्म सी आयी कि उन लोगों की वजह से उस लड़की को परेशानी हो रही है पर लड़की को ना तो यतिन की शर्म की कोई खबर थी और ना तो उस परेशानी की जो यतिन को परेशान कर रही थी, और अगर वो परेशान हो भी रही थी तो उसने ऐसा कोई भाव चेहरे पर आने नहीं दिया।

बच्ची का पेट शायद खराब था और चित्रा को उसे बाथरूम ले कर बार बार जाना पड़ रहा था. 

यतिन से रहा नहीं गया, उसने लड़की को सॉरी बोला और उससे पूछा कि क्या वो विंडो सीट ले सकती है? लड़की ने मुस्कुरा कर उसका यह आग्रह स्वीकार कर लिया। 

बाकी की यात्रा ईश्वर और बच्ची की कृपा से थोड़े सुकून से कटी. उतरते वक़्त यतिन और लड़की के बीच फिर एक बार "सॉरी" और "इट'स ओके" का आदान प्रदान हुआ. इसके बाद तो उतरने की आपाधापी में उसे लड़की का ध्यान ही नहीं रहा. 

वापसी की कैब में वो मन ही मन अपनी इस छोटी सी कहानी की नायिका के बारे में सोचने लगा लेकिन अब उसके मन में संतोष था कि उतनी ही सही, "उससे" बात तो हो गयी. 

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