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अगर आपने पढ़ लिया तो सोच कर बताइये, ये कौन लोग हैं? क्या इसी हिंदुस्तान के हैं, इसी मिट्टी के जिससे आप और मैं निकले हैं? अगर हाँ तो मुझे तो अपने आप पर शर्म आ रही है, कि ऐसे लोगों को मुझे अपना देशवासी कहना पड़ रहा है!
सोच कितनी गिर सकती है, आदमी किस कदर घटिया हो सकता है, दिमाग में कचरा किस कदर भर सकता है ये जानना हो तो रीडिफ़.कॉम के किसी भी लेख पर टिप्पणियां पढ़ लीजिये। ऐसा लगता है जैसे इस देश में और इसके लोगों में सिर्फ़ नफरत ही भरी हो, एक दूसरे के प्रति। हर बात पर विवाद, हिंदू-मुस्लिम, उत्तर-दक्षिण, महिला-पुरूष और लगभग हर बात पर या बिना बात के ही! और विवाद भी सिर्फ़ मतभेद तक ही सीमित नहीं, एक दूसरे को अश्लील - अपशब्द कहना भी ज़रूरी।
आख़िर ये कौन लोग हैं जो रफ़ी साहब और महेंद्र कपूर साहब के लिए ऐसी बातें कह सकते हैं, मुझे तो नहीं समझ आ रहा। ये कैसे लोगों के बीच रह रहा हूँ मैं!
7 टिप्पणियां:
is duniya me bewakoofon ki kami nahi hai, rafi sahab, kishore da, hemant ji, talat sahab, mukesh, k c dey, manna dey kitne sitare hamen milen hain, main bhi kattar-vaad ke viruddh hoon, itna jaroor kahna chahoonga ki aaj rafi sahab ke viruddh bhi fatwa ho jata ki unhone kaise bhajan gaye jo har hindoo ke ghar men bajte hain, ek baat aur batana chahoonga-aradhna ke gaanon ke dhoom machane ke baad ek vyakti ne kishore da se kaha -"aapne to rafi sahab ki chhutti kar di", aur kishore da ka uttar ek chaante ke roop me mila, rafi sahab bade hain, kishore kumar, mahendra kapoor sahab ya manna dey, ye tulna sirf kam dimag ke log hi kar sakte hain. talat sahab jaisi ki reshmi awaj ka jaadoo kya khoob tha, darasal kattarta ne sab barbaad kar diya hai aur jo kuchh bacha hai wo bhi jald hi barbaad ho jaayega
मैं तो इतना कहूँगा कि आप दूसरों पर ध्यान न दे वरना हो सकता है कि आप अपनी एकाग्रता खो दें |
kya kare mere bhai hum pata nahi kis direction me jaa rahe hai.sochiye kabhi isi desh ke liye asfakulla,abdul hamidaur bhi jaane kitane naam hai jinhone is desh ke liye kurbaaniya dee,aur to aur log aajkal tyohar mana rahe hai jisme sabke liye kalyan ki kaamana ki jaati hai chavah kisi bhi daharm ka hi tyohar kyon naa ho lekin sab aapas me pata nahi kis baat se naaraaj hai
kya kare mere bhai hum pata nahi kis direction me jaa rahe hai.sochiye kabhi isi desh ke liye asfakulla,abdul hamidaur bhi jaane kitane naam hai jinhone is desh ke liye kurbaaniya dee,aur to aur log aajkal tyohar mana rahe hai jisme sabke liye kalyan ki kaamana ki jaati hai chavah kisi bhi daharm ka hi tyohar kyon naa ho lekin sab aapas me pata nahi kis baat se naaraaj hai
रेडिफ वालों की मति भ्रष्ट हो गई है इसके लेखक भी पुण्य प्रसून बाजपेई की तरह बेबकूफी की बातें लिखते हैं अगर कोई लेखक "The man who kept Rafi on his toes" जैसी हैडलाइन देगा तो क्या होगा?
वैसे रेडिफ वालों को इसका फायदा भी मिल रहा है, उसके एकदम नाकबिले बर्दाश्त हैडिंग वाले लेख की आपने यहा लिंक कर दिया
हां मुझे भारत पर गर्व है पर एसे भड़काऊ घटिया शीर्षक देनें वालों पर शर्म ही आती है.
ब्लोगवानी पर प्रितीष नंदी का "दो कौड़ी का भारत" पर भी नज़र डालें। (हालांकि इस तरह उसका ब्लोग तो पढ़ा ही जायेगा, जबकि उसे सिरे से नकारना जरुरी है) पता नहीं क्या लिखना या जताना चाहता है यह शख्स। इस तरह के उल्टे सीधे शिर्षकों से लोगों का ध्यान आकर्षित कर के। लगता है ये और इन्हीं की तरह के बाकी लोग अपने अहम को हर क्षेत्र मेँ पिटता देख मानसिक दिवालिएपन की इस हद तक पहुंच गये हैं।
आप सही कहते हैं विवेक जी। मेरे दोस्त ने भी यही बोला कि मैं अपना दिमाग क्यूँ ख़राब करता हूँ, इन मूर्खों के लिए।
कट्टरता और कायरता यह दो ऐसे तत्त्व हैं जो मिल कर बड़े खतरनाक हो सकते हैं, और वही हम देख रहे हैं। चाहे वो नाम बदलकर एक घटिया टिपण्णी करनी हो, दूसरे को गाली देनी हो या छिप कर बम फोड़ना!
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