हरसिंगार के फूल
जब महकें
मेरे मन में
यादों में,
दिल में,
धड़कन में.
अनदेखी, एक
अन्चीन्ही सी
खुशबू बस,
बस जाये तन में।
छोटी छोटी
प्यारी सी छवियाँ
आंखों के आगे,
हँसें, मुस्काएं
खिलें, खेलें, भागें।
एक नाज़ुक,
रूमानी सा एहसास,
एक चेहरा धुंधला सा
हो जैसे
दिल के आसपास।
छूना चाहूँ
छू ना पाऊँ,
छुऊंगा भी कैसे!
विचार होते ही हैं
बस खुशबू जैसे।
हँसता हूँ
कैसी भोली सी भूल,
पर फिर साँसों में
समाने लगते हैं
वही,
हरसिंगार के फूल.
1 टिप्पणी:
cool yaar...nice kavita...wonder wen do u find the time to write such wonderful poems even when u r working on weekends :)
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