कुछ भूल गए,
कुछ याद रहे.
कुछ बिछड़ गए,
कुछ साथ रहे.
कुछ सुने हुए से
किस्सों से,
कुछ बुने हुए से
हिस्सों से.
कुछ गैरों के,
कुछ अपनों के.
कुछ सच्चे और
कुछ सपनों से.
कुछ फिर मिलने
के वादे थे
'टच' में रहने के
इरादे थे.
फोन में नंबर
अभी भी हैं,
बर्थडे रिमाइंडर
अभी भी हैं.
पर एक अनदेखा
सा दुश्मन है
शायद वो मेरा
अंतर्मन है.
बढ़ता हूँ,
रुक जाता हूँ.
सच कहूं तो,
अहम् के आगे
झुक जाता हूँ.
शायद इसीलिए..
कुछ भूल गए,
कुछ याद रहे.
कुछ बिछड़ गए,
कुछ साथ रहे.
2 टिप्पणियां:
आते जाते खूबसूरत आवारा सड़कों पे...
Bahut khoob
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