बुधवार, 27 अक्तूबर 2010

तुम

आज मैं
मैं नहीं,
तुम भी
तुम ना रहो।
सब कुछ
चाहता हूँ सुनना
कुछ भी ना कहो।

पास बैठो,
सपनों की कहानियां
सुनाऊँ मैं
तुम भी अपनी यादों की।
कोई और बात ना हो,
बस बातें करें
बातों की।

साँसों में बसा लूं
तुम्हारे साथ
बिताया हर पल।
हर पल
एक ज़िन्दगी सा लगेगा
ज़िन्दगी जब
ख़त्म होगी कल।

आज पास रहो
साथ रहो,
आखें करें बातें
हम तो बस सुनें.
बैठें
गुपचुप, खामोश,
और सपने बुनें।

8 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

wow!!! another facet to your personality

Kanupriya ने कहा…

Beautiful creation :)

Unknown ने कहा…

jam kar likha hai Kavi sahab ne..

wah-2

ubuntu ने कहा…

वाह अभिषेक , बहुत दिनों बाद लिखा तुमने (all because of twitter) , बहुत बढ़िया.
आगे भी लिखते रहो , twitter जाये भाड़ में

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

जब भाव गाढ़े हों तो मौन ही संवाद सुचारु रखता है, शब्द तो धोखा दे जाते हैं।

Waterfox ने कहा…

@प्रियांशु
ट्विट्टर ने आदत बिगाड़ दी है. भड़ास अब १४० शब्दों के बजाये १४० अक्षरों में निकल जाती है!

@प्रवीण
बिलकुल सही कहा आपने!

Waterfox ने कहा…

Renuka Mam, Kanupriya, Pikal Sharma
Thanks very much :)

Smart Indian ने कहा…

खुदा करे ज़रूर हो!