शुक्रवार, 21 मई 2010

शुभ विवाह से लक्ष्मी जी आउट!

ये शादी के कार्ड्स पर "शुभ विवाह" क्यूँ लिखते हैं?

कोई "अशुभ विवाह" भी होता है क्या? जो अशुभ होता भी है तो विवाह के बाद ही होता है, शुरू शुरू में तो शुभ ही शुभ होता है! अपवाद के तौर पर झारखंड में बी जे पी और जे एम एम के बीच का गठबंधन ध्यान में आता है, जिसकी शुरुआत ही अशुभ थी। मैं तो कहूँगा कि शुरुआत से पहले ही अशुभ होने के संकेत थे जो सिवाए बी जे पी के सबको दिख रहे थे।

खैर। "शुभ विवाह" से आगे बढ़ो तो गणेश जी मिलते हैं। मुझे गणेश जी से कोई दिक्कत नहीं है, अच्छे आदमी हैं बेचारे, डिज़ाईनर और प्रिंटर जहां जैसे फिट कर देते हैं, हो जाते हैं। लेकिन असल बात: लक्ष्मी जी को क्यूँ भूल जाते हैं सब? कोई कुछ भी कहे शादी ब्याह में तो लक्ष्मी जी का जितना आवागमन होता है, वो किसी से छुपा नहीं है। वधू पक्ष से वर पक्ष को जाने वाली बात को इग्नोर कर भी दें तो भी जितना ताम-झाम होता है, उसके लिए लक्ष्मी मैया की कृपा ही काम आती है। और तो और शादी में वर-वधू (और उनके रिश्तेदारों) को जो लक्ष्मी जी के वाहन (उल्लू!) की तरह जागरण करना पड़ता है उसका क्या? गणेश जी तो मजे से कार्ड पे फिट हो जाते हैं और अपने वाहन (चूहे) को सामान का सत्यानाश करने पीछे छोड़ जाते हैं!

लक्ष्मी जी को इस मामले को सीरियसली लेना चाहिए और अपने यथोचित सम्मान की डिमांड करनी चाहिए। बल्कि मैं तो यहाँ तक कहूँगा कि नारी मुक्ति वालों को लक्ष्मी जी के सपोर्ट में मोर्चा-वोर्चा निकालना चाहिए, जन-जागरण अभियान चलने चाहिए।

मुझे उम्मीद है, आने वाले समय में लक्ष्मी जी मेरी इस सेवा से खुश हो कर मुझे यथोचित ईनाम देंगी!

3 टिप्‍पणियां:

SJ ने कहा…

india tv ko yeh blog entry bhejiye lakshmi ji ki bahut kripya ho jayegi aap ke upar. waise acha laga yeh blog.

ZEAL ने कहा…

It seems Goddess Laxmi doesn't have any ego problem.

Ganesh ji is an opportunist.

lol

Unknown ने कहा…

यार तुम महान हो , कहाँ से तुम्हारी दिमाग में ये सारी बात आती है .