समय: १२.३७ अपरान्ह, १६ मई २००९
५४३ सीटों के नतीजे और रुझान आ चुके हैं और लगभग सब ने मान लिया है कि फ़िर से 'सिंह इज किंग'। अब मेरे दिमाग में कुछ सवाल आने शुरू हो गए हैं:
१) मायावती का क्या होगा? उत्तर प्रदेश में अब वो हस्ती नहीं रही बहन जी की। कांग्रेस और एस.पी. ने बी.एस.पी. को झटका दिया है। मायावती के प्रधान मंत्री बनने के सपने अब उत्तर प्रदेश के सहारे तो पूरे होने से रहे। बाकी राज्यों में अभी भी हैसियत 'स्पॉयलर' से ज़्यादा नहीं है। तो अब बहन जी का राजनैतिक कद कितना बढ़ेगा या घटेगा?
२) बी.जे.पी. क्या फ़िर से २००४ वाली हालत में चली जाएगी? २००४ में हार ने पार्टी का आत्मविश्वास लगभग ख़त्म कर दिया था और अगले ३ साल तक वो इस सदमे से उबार नहीं पायी। इस बार तो और भी बुरा प्रदर्शन रहा है और अब तो आडवानी भी शायद इस्तीफा दे देंगे। तो अब बी.जे.पी. की दूसरी पंक्ति के नेता पार्टी को किस और ले जाएंगे?
३) क्या उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का पुनर्जन्म होगा? या ये सिर्फ़ एक चमक भर है? कांग्रेस ने कल्पना से भी बेहतर नतीजे दिए हैं यू पी में। क्या कांग्रेस इस जीत का फायदा उठा सकेगी या फ़िर एक बार फ़िर अच्छी शुरुआत को गँवा देगी?
४) आडवाणी जी का क्या होगा? क्या आडवाणी शेन वार्न बन गए हैं जिनके लिए कहा जाता है कि वो ऑस्ट्रेलिया के सर्वश्रेष्ठ कप्तान थे जिसने कभी कप्तानी नहीं की? और कितने साल वो सक्रिय राजनीति में रहेंगे?
अगर आपको जवाब मालूम हैं तो कृपया बताइये!
(देखिये मेरी 'मिलिनेयर टू स्लमडॉग' लिस्ट यहाँ)
2 टिप्पणियां:
वामपंथ के बारे में कोई सवाल नहीं किया?
अरे क्या दिनेश जी. आपने तो काउंटर सवाल कर दिया. वैसे वामपंथ का कुछ ख़ास नहीं होगा. वो वापिस २००४ से पहले वाली अवस्था में जाएंगे. मैं पश्चिम बंगाल के चुनाव देखनाचाहूंगा.
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