रविवार, 25 मई 2008

"अरे भाई वो मर गया है ...

..तुम क्यूँ मर रहे हो?" प्रदीप (नाम परिवर्तित) से कुछ ऐसा सुनने को मैं काफ़ी देर से इंतज़ार कर रहा था, पर अभी तक वो ही मेरी सुने जा रहा था
दरअसल "वो" मरा नहीं, मार डाला गयाउसका नाम ललित मेहता था, आई आई टी रुड़की से इंजीनियरिंग की थी और विदेश जा कर मोटे वेतन पर काम करने के बजाये, वापिस बिहार के पलामू जिले में जा कर ग्राम स्वराज अभियान नाम की एक सामाजिक संस्था के साथ काम करने लगापलामू में राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना में भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई और जांच की मांग कीजांच से एक दिन पहले छतरपुर में उसको सदा के लिए शांत कर दिया गया! कोई और नाम याद आए क्या? कोई सत्येन्द्र दुबे या मंजुनाथ जैसे नाम?

और मैं क्यूँ मर रहा था? दरअसल में कोशिश कर रहा था कि किसी तरह से यह ख़बर राष्ट्रीय मुद्दा बनेराष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना में कितना ज़बरदस्त भ्रष्टाचार है, यह किसी से छुपा नहीं हैइसीलिए में एनडीटीवी और सीएनएन-आईबीएन तक यह ख़बर पहुँचाने की कोशिश कर रहा थाएन डी टी वी के संजय अहिरवाल ने बताया कि यह ख़बर उनका चैनल एन डी टी वी इंडिया दिखा चुका हैसी एन एन - आई बी एन के राजदीप सरदेसाई ने कहा कि ख़बर मैं उनके चैनल के विनय तिवारी को भेज दूँखैर यह सब तो हो गया

और यही सब मैं प्रदीप को बता रहा था, कि अब इसको फ़ोन किया, अब इसको एस एम् एस भेजा जब उसने कहा "अरे भाई वो मर गया है, तुम क्यूँ मर रहे हो?" बात सही भी थी
उससे मेरा क्या सम्बन्ध था? संबंध छोडिये कभी नाम भी नहीं सुना था। और बिहार में तो हमेशा ही किसी न किसी की हत्या होती रहती है। क्या हर किसी के मरने या मारे जाने की ख़बर लेकर में ऐसे ही टीवी चैनलों के पास दौड़ता रहूँगा? पर क्या करूं प्रदीप, तुम्हारी नेक सलाह मेरी समझ में नहीं आती।
ऐसे ही किसी दोस्त ने ललित, सत्येन्द्र और मंजुनाथ से भी यही कहा होगा लेकिन उन्होंने भी नहीं सुनी किसी की। लेकिन मैं नहीं चाहता कि फ़िर कोई और नाम जुड़े इस लिस्ट में। और वैसे भी मैं मर नहीं रहा.

बुधवार, 21 मई 2008

हॉकी टीम को बधाई. अगली बार फाईनल जीतना है!

शायद के पी एस गिल के जाने के साथ ही किस्मत फ़िर से हमारी हॉकी पर मेहरबान होने लगी है! अब बारह साल बाद अजलान शाह कप के फाईनल में प्रवेश करने को आप क्या कहेंगे। बिल्कुल नए खिलाड़ियों से सजी यह टीम फाईनल में अर्जेंटीना से २-१ से हारी वो भी गोल्डेन गोल के ज़रिये।

IPL से मंत्रमुग्ध हिन्दी मीडिया को तो शायद याद भी नहीं कि हॉकी भी कोई खेल होता है, पर हम सब की तरफ़ से हॉकी टीम को बहुत बहुत बधाई। अब उम्मीदें बढ़ा दी हैं, तो उन पर खरे भी उतरना और अगली बार फाईनल जीत के आना!

बुधवार, 14 मई 2008

मंत्री जी की सफलता

"जिस उद्देश्य से ये विस्फोट किए गए थे वे पूरे नहीं हुए हैं और यही हमारी सफलता है।"

यह शब्द हैं माननीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल साहब के, जयपुर में हुए विस्फोटों के बारे में। अब बोलो इनसे ज़्यादा सफल कार्यकाल है किसी और गृह मंत्री का? ऐसी जाने कितनी सफलताएं पाटिल साहब के खाते में दर्ज हैं। वैसे विस्फोट करने वालों के क्या उद्देश्य थे वो तो पाटिल साहब जानते ही हैं, वो यह भी जानते हैं " कि जयपुर के विस्फोटों में किन तत्वों का हाथ है।"

अभी नाम सिर्फ़ इसलिए नहीं बता रहे कि जांच चल रही है! वैसे उनके डिप्टी यानी गृह राज्य मंत्री श्री प्रकाश जायसवाल ने "एक क़दम आगे बढ़ते हुए कहा है कि इन 'आतंकी हमलों के तार पड़ोसी देश से' जुड़े हुए हैं", अलबत्ता वो "पड़ोसी देश" कौन सा है, वो उन्होंने नहीं बताया। शायद इसे भी सफलता से जोड़ कर बताने की तैयारी में होंगे।

वैसे अच्छा होता कि पाटिल साहब और जायसवाल साहब अपनी सफलता का कोई पैमाना बता देते। और कितने शवों को कन्धा देना है, और कितने घर उजड़ने हैं, कितनी मांगों का सिन्दूर मिटना है, कितने जीवन ज़िंदगी भर के लिए अपंग होने हैं, इन सब की कोई संख्या अगर मंत्री द्वय बता देते तो दिल थोड़ा और कड़ा कर लेते हम।

मंत्री जी की सफलता के लिए कुर्बानी देने को आम जनता तो बैठी ही है!