'नज़र लगे न' की यह पंक्तियाँ दिल छू गयीं!
तुम से पूछूँ,
ख़ुद से पूछूँ
या दिल के अरमानों से
प्यार के लम्हे
अक्सर ही क्यूँ
आते हैं मेहमानों से
पास घड़ी भर को
रहते हैं
कल फ़िर आएँगे
कहते हैं!
ना पानी ना
ये हवा से
फ़िर जाने क्यूँ
बहते हैं!
('A Wednesday' फ़िल्म से)
7 टिप्पणियां:
बहुत अच्छा.. बहुत सुंदर लिखा है आपने..
अरे नही नही विनीता जी :)
मैने नही लिखा. ये तो फिल्म से है. ज़्यादा मशहूर नही हुआ ये गीत और मुझे अछ्छा लगता है सो मैने लिख दिया!
बहुत सरल
बहुत सरस
तुम से पूछूँ,
ख़ुद से पूछूँ
या दिल के अरमानों से
प्यार के लम्हे
अक्सर ही क्यूँ
आते हैं मेहमानों से
पास घड़ी भर को
रहते हैं
कल फ़िर आएँगे
कहते हैं!
बहुत अच्छी पंक्तियां हैं...बधाई...
हमें भी बहुत अच्छा लगा इस गीत को पढ़ना-फिल्म देखने की जिज्ञासा बढ़ गई है.
समीर भाई, गीत ज़रूर रोमन्टिक है लेकिन फिल्म आतन्कवाद के खिलाफ एक आम आदमी की लडाई की कहानी है.
ज़रूर देखिये, नसीरुद्दीन शाह और अनुपम खेर ने क्य ज़बर्दस्त काम किया है!
मुझे ये संदेश नहीं मिला "टिपण्णी सहेज दी गई है ... ब्लॉग स्वामी अप्रूव करेंगे ... " इत्यादि ... अत: पुन: :)
देर आए ... दुरुस्त आए ...
अच्छी पंक्तियाँ ... ये फ़िल्म देखने का दिल मेरा भी है ...
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