बाहर इतनी ज्यादा गर्मी नहीं थी पर फिर भी मेट्रो कोच के अंदर कदम रखते ही पूर्वी को एसी की ठंडी हवा अच्छी लगी।अंदर ज्यादा भीड़ नहीं थी और उसको आसानी से सीट भी मिल गई। उसके बाजू में कोई 10-11 साल की एक लड़की थी और उसके साथ शायद उसका छोटा भाई जो 7-8 साल का रहा होगा।
लड़की अपने भाई को हैरी पॉटर की कहानी सुना रही थी। "... तो फिर ना सीरियस ब्लैक अज़्काबान प्रिज़न से भाग जाता है और सब लोग बहुत डर जाते हैं क्यूंकि अज़्काबान से कभी कोई भाग नहीं सकता था."
"क्यों नहीं भाग सकता था?", लड़के ने वाज़िब सवाल किया
"क्यूंकि उस प्रिज़न के गार्ड्स थे डिमेंटर्स। और वो कोई ऐसे-वैसे गार्ड्स नहीं थे। वो ऐसे घोस्ट जैसे होते थे और ब्लैक कलर के कपड़े पहन के उड़ते रहते थे", लड़की ने फिल्म में देखे हुए डिमेंटर्स का काफी सजीव चित्रण किया. ना चाहते हुए भी पूर्वी के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई।
"और वो जहां होते थे वहां की सारी खुशियां और गुड थॉट्स खत्म हो जाते थे। केवल सॉरो, अनहैपीनेस और बैड थॉट्स ही रह जाते थे। और अगर वो किसी को पकड़ लें तो उसकी सोल खींच लेते थे!" कहते कहते लड़की का स्वर गंभीर हो गया था।
और उसके स्वर की गंभीरता ने पूर्वी को जैसे वापिस वास्तविकता के धरातल पर ला पटका। उसे लगा शायद उसके जीवन को इन दिनों डिमेंटर्स ने ही जकड़ रखा है क्यूंकि आजकल उसके पास सिर्फ सॉरो, अनहैपीनेस और बैड थॉट्स ही तो रह गए थे।
वैसे देखा जाए तो पूर्वी के लिए सब सही चल रहा था। उसका प्लेसमेंट अच्छी कंपनी में हो चुका था और इंटर्नशिप बस खत्म होने वाली थी। घरवालों ने शादी के लिए बोलना शुरू नहीं किया था और वो अपने दोस्तों के साथ आने वाले समय को लेकर उत्साहित भी थी.
लेकिन इन सबके बावजूद हर एक शाम पूर्वी के लिए एक सज़ा जैसी थी और पूरा दिन उस शाम का डर और इसकी वजह था अक्षत!
अक्षत उसका बॉयफ्रेंड था। शुरुआत फर्स्ट ईयर में दोस्ती से हुई और धीरे धीरे प्यार में बदल गई। तीन साल सब वैसा ही रहा जैसा अमूमन कॉलेज का हर प्यार होता है। लेक्चर में साथ बैठना, कैंटीन में साथ खाना, शाम को साथ घूमना, साथ पढ़ना और कभी कभी सारी ज़िन्दगी साथ रहने के सपने देखना और कुछ नाज़ुक लम्हों में उन सपनों को एक दूसरे के साथ बाँटना!
लेकिन फिर वो चाहे मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी हो या मेरठ इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, हर कॉलेज का अंतिम वर्ष होता है प्लेसमेंट इयर जो एक ऐसा विलेन बन के आता है जिसका काम ही है कॉलेज के हर प्रेमी युगल की "साथ जीने मरने" की कसमों की परीक्षा लेना और जो इसकी परीक्षा में पास हो जाते हैं वो कई बार अपनी इन कसमों को पूरा भी कर लेते हैं.
पूर्वी और अक्षत इस परीक्षा में फ़ेल हो गए या यूं कहें कि अक्षत परीक्षा के बीच से ही उठ गया.
हुआ ये कि पूर्वी के लिए चीज़ें थोड़ी बेहतर हो रही थीं. इंटर्नशिप अच्छी जगह मिली और प्लेसमेंट भी कॉलेज आयी दूसरी या तीसरी कंपनी में ही हो गया. अक्षत को पहले तो इंटर्नशिप के लिए बड़े पापड़ बेलने पड़े और जब मिली भी तो बस नाम की. प्लेसमेंट की हालत और भी बुरी हुई और कभी स्क्रीनिंग, कभी ग्रुप डिस्कशन और कभी इंटरव्यू, किसी न किसी मोड़ पर उसकी क़िस्मत साथ छोड़ देती थी. जैसे जैसे समय बीत रहा था कंपनियों के आने की रफ़्तार कम हो रही थी और नौकरी मिलने की उम्मीदें भी.
अब तक सब कुछ साथ साथ करने वाले पूर्वी और अक्षत के लिए ये एक बिलकुल नया अनुभव था. पूर्वी अभी भी उसकी हर संभव मदद कर रही थी लेकिन जो हाथ अब तक साथी थे उनका रिश्ता अब दाता और याचक का हो चुका था या फिर अक्षत को ऐसा ही लगता था. जो नोट्स वो बाकी दोस्तों से बेझिझक मांग लेता था, वही पूर्वी से लेने में उसे शर्म आने लगी थी. पूर्वी की हर सहायता उसको अपने ऊपर एहसान जैसी लगने लगी थी. पूर्वी जब भी उससे इंटरव्यू या पढ़ाई के बारे में कोई सवाल करती थी तो उसे ऐसा लगता था जैसे वो उसकी विफलताओं की याद दिला रही है.
पूर्वी इन सब बातों से अनजान नहीं थी और वो कोशिश भी करती थी कि अक्षत अभी भी उसके साथ पहले जैसे ही व्यवहार करे पर उसकी हर कोशिश निराशा और पुरुषवादी अहम् के उस दोहरे आवरण को भेद नहीं पाती थी जिससे अक्षत ने खुद को पूरी तरह से ढक लिया था.
और वो आवरण दिन पर दिन और मोटा होता जाता था और पूर्वी और अक्षत के बीच की दूरी बढ़ती ही जाती थी. वो अब भी मिलते थे लेकिन अब पूर्वी की इंटर्नशिप के कारण समय कम मिलता था. पूर्वी अपने ऑफिस की बातें बताना चाहती थी लेकिन उसकी बातें सुनकर अक्षत की हीन भावना और भी बलवती होती थी और वो मज़ाक के बहाने पूर्वी पर कटाक्ष करता था. पूर्वी तड़प कर रह जाती थी पर अक्षत को और बुरा न लगे इसलिए कोई जवाब नहीं देती थी. अक्षत के पास बताने के लिए कुछ नया तो होता नहीं था इसलिए वो अधिकतर चुप ही रहता था और धीरे धीरे पूर्वी भी चुप ही रहने लगी थी।
पहले पूरा दिन साथ रहने के बाद भी समय कम लगता था, अब उस एक घंटे के लिए जैसे घड़ी के कांटे आगे नहीं खिसकते थे. पहले जब वो साथ होते थे तब बातें कम पड़ जाती थीं, अब सिर्फ चुप्पी के लिए जगह बची थी.
कभी कभी अक्षत को अपने इस बर्ताव पर दुःख भी होता था और वो पूर्वी से प्यार के दो बोल बोल भी लेता था, पर आग पर पानी के छींटे आग को बस पल भर के लिए कम करते हैं बुझाते नहीं और जब वो आग वापिस भड़कती है तो और भी रुद्र होती है. ऐसे ही कभी कभी पूर्वी का दिल दुखा कर अक्षत को एक अजीब सा सुकून मिल जाता था और वो पता नहीं पूर्वी को किस गलती की सज़ा देकर खुश होता था.
पूर्वी ने अपने आप को इस सबसे बचाने के लिए काम में झोंक दिया था और इसी वजह से अपने ऑफिस में वो सबकी चहेती बन गयी थी लेकिन शाम को ऑफिस से निकलने के बाद और सुबह ऑफिस पहुँचने से पहले तक उसके दिमाग पर एक बोझ जैसा बना रहता था और लाख कोशिशों के बाद भी वो उस बोझ तले दबती जा रही थी. उसे पता था कि इस बोझ को उतार फेंकने का विकल्प भी है उसके पास पर उस रास्ते पर चलने का साहस वो जुटा नहीं पा रही थी.
मेट्रो अचानक एक झटके से रुकी और पूर्वी अपने ख्यालों से बाहर आ गयी. स्टेशन तो नहीं था कोई, शायद किसी और वजह से इमरजेंसी ब्रेक लगाया होगा ड्राइवर ने.
".. प्रोफेसर ल्यूपिन ने हैरी को ट्रेनिंग देनी शुरु की डिमेंटर्स से फाइट करने के लिए. उसके लिए हैरी को अपने माइंड में कोई हैप्पी मेमोरी सोच के कुछ बोलना होता था ज़ोर से. जितनी हैप्पी और स्ट्रांग मेमोरी होती थी उतना स्ट्रांग उसका वो स्पेल। पहले तो हैरी से नहीं हो पा रहा था लेकिन फिर उसने बहुत प्रैक्टिस की. "
हाँ, उसे भी अब इन डिमेंटर्स से लड़ना पड़ेगा जिन्होंने उसकी सारी खुशियों को ख़त्म कर दिया है और जो अब धीरे धीरे उसकी आत्मा को उससे अलग कर रहे हैं. कब तक वो उन साथ बिताये खुशनुमा पलों को, उसकी आज की खुशियों के मुकाबले ज़्यादा महत्त्व देती रहेगी। कब तक वो इस उम्मीद में जियेगी कि एक दिन सब ठीक हो जाएगा और उसकी ज़िन्दगी 'हैप्पी एवर आफ़्टर' की पटरी पर चल पड़ेगी और अगर अभी सब ठीक हो भी जाता है तो आगे कभी ऐसा कुछ नहीं होगा इसका क्या भरोसा है!
पूर्वी अपने मन में ये सब पहले भी कई बार सोच चुकी थी लेकिन आज से पहले इस अनदेखे शत्रु का न कोई नाम था न कोई चेहरा, लेकिन आज 'डिमेंटर्स' की इस संज्ञा ने उसको एक उद्देश्य दे दिया था, अपने लिए लड़ने का. उसने सोच लिया था कि अक्षत के साथ बिताया पुराना समय बहुत अच्छा था और अगर उस समय को आगे भी याद रखना है तो अब उसे यादों के बक्से में बंद कर के सहेज के रख देना पड़ेगा.
उसका स्टेशन आ रहा था, वो उठ खड़ी हुई.
"वो डिमेंटर्स को भगाने वाला स्पेल क्या था", लड़के ने अपनी बहन से सवाल किया।
"उम्म कुछ तो था एसेक्टो.. याद नहीं आ रहा", लड़की ने दिमाग पे ज़ोर डाला लेकिन ठीक ठीक याद नहीं कर सकी.
स्टेशन आ गया था. पूर्वी बाहर निकलने को थी. उसने बच्चों की तरफ देखा और अपनी सारी हैप्पी मेमोरीज को याद करते हुए पूरे आत्मविश्वास के साथ कहा "एक्सपेक्टो पेट्रोनम"