कभी यूँ भी तो हो!
तारों की महफ़िल हो, कोई न मेरे साथ हो , और तुम आओ। कभी यूँ भी तो हो!
शनिवार, 1 जनवरी 2011
नवल वर्ष
सूर्य नव,
प्रकाश नव,
आकाश नव,
अवकाश नव।
वर्ष नव,
हर्ष नव,
विश्व का प्रदर्श नव,
अब समय है
हो आदर्श नव
1 टिप्पणी:
प्रवीण पाण्डेय
ने कहा…
यत इच्छा,
तत भव,
2 जनवरी 2011 को 8:12 am बजे
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यत इच्छा,
तत भव,
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