सिनेमा। हर उस आत्मपरक यानि सब्जेक्टिव विधा की तरह है जिसमें दो लोग भी अगर किसी एक चीज़ पर सहमत हो जाएं तो बड़ी बात! तो दी लल्लनटॉप की लिस्ट में दो फ़िल्मों के नाम देख कर जब हमने आपत्ति ज़ाहिर की तो लल्लनटॉप के भाई साहब ने कहा कि जी डेमोक्रेसी है, ये उनकी लिस्ट है, आप अपनी बना लो!
तो जी इस प्रवचन का लब्बोलुआब ये, कि हाज़िर हैं मेरी पसंदीदा ग़ैर-हिंदी भाषाओं की पिछले 5 सालों में रिलीज़ हुई 5 प्रेम कहानियाँ:
1. कुम्बलांगी नाइट्स (मलयालम, 2019)
कहानी घूमती है चार भाइयों, साजी, बॉनी, बॉबी और फ्रैंकी, के इर्द गिर्द. फ्रैंकी सबसे छोटा है और फुटबॉल खेलता है. भाइयों की आपस में बिलकुल नहीं बनती है. घर में माँ-बाप हैं नहीं और उनकी आर्थिक हालत भी ज़्यादा अच्छी नहीं है. बॉबी को प्यार हो जाता है बेबी से जो अपनी माँ के साथ अपनी दीदी और जीजा के साथ उनके घर में रहती है और टूर गाइड का काम करती है. बेबी से शादी करने के लिए बॉबी भी आवारागर्दी छोड़ कर नौकरी करना शुरू कर देता है और साजी उनके रिश्ते की बात करने बेबी के जीजा के पास भी जाता है, पर फिर कुछ ऐसा होता है कि सारे भाई अपने गिले-शिक़वे भुला कर एक साथ आ जाते हैं!
डायरेक्टर: मधु सी नारायणन. बतौर निर्देशक पहली फ़िल्म. इसके पहले सिर्फ एक फिल्म में असिस्टेंट रहे थे. मलयालम फिल्मों के सुपरस्टार और इस फिल्म में विलेन के किरदार में काम कर रहे फ़हाद फ़ासिल इस फिल्म के सह-निर्माता भी हैं.
कहाँ देखें: अमेज़न प्राइम वीडियो
2. ओ कादल कनमनी (तमिल, 2015)
आदित्य एक वीडियो गेम डेवलपर है और अमेरिका जाने के ख्वाब रखता है. उसको मिलती है तारा जो एक वास्तु-कला (आर्किटेक्चर) की छात्रा है और पेरिस में पढ़ना चाहती है. दोनों को प्यार हो जाता है, पर शादी वगैरह में दोनों को कोई ख़ास दिलचस्पी नहीं है तो जब तक उनके सपने उन्हें अलग अलग राहों पर ना ले जाएं तब तक वो साथ रहेंगे और उसके बाद ओके टाटा बाय बाय. इसी विचारधारा के साथ वो लिव इन में रहने लगते हैं. पर उनके बूढ़े मकान मालिक दम्पति के बीच का प्यार देख कर उनका मन बदल जाता है.
डायरेक्टर: मणिरत्नम. 2000 में आयी 'अलाइ पायुथे' के बाद उनकी पहली शुद्ध देसी रोमांटिक फ़िल्म! 2 साल बाद आयी 'ओके जानू' देख कर ऐसा लगेगा जैसे किसी बेस्ट-सेलर किताब की चौराहे पर मिलने वाली फोटोकॉपी.
कहाँ देखें: हॉटस्टार. वीआईपी या प्रीमियम सब्सक्रिप्शन की आवश्यकता नहीं.
3. 96 (तमिल, 2018)
दसवीं कक्षा में एक दूसरे को दिल दे चुके राम और जानकी (जानू) 22 साल बाद स्कूल के रीयूनियन में मिलते हैं और वो भी सिर्फ एक रात के लिए. 22 साल पुराने पहले प्यार की यादों के साथ ही निकल कर आती हैं बहुत सारी बातें. इससे ज़्यादा इस फिल्म की कहानी के बारे में बता पाना, बिना स्पॉइलर दिए, संभव नहीं!
डायरेक्टर: सी प्रेम कुमार. बतौर निर्देशक इनकी भी पहली फ़िल्म. इसके पहले छायाकार (सिनेमेटोग्राफर) थे. फ़िल्म की नायिका का नाम प्रख्यात गायिका जानकी देवी के नाम पर रखा गया है और वो जानकी अम्मा के गीत ही गाती भी है.
कहाँ देखें: सन नेक्स्ट, जिओ सिनेमा. यूट्यूब पर किराये पर या खरीद कर देख सकते हैं
4. केयर ऑफ़ कांचरापलेम (तेलुगु, 2018)
चार प्रेम कहानियाँ, जीवन के अलग अलग पड़ावों पर. पांचवीं में पढ़ने वाले सुंदरम को प्यार होता है अपनी क्लास की सुनीता से, 23 साल के जोसेफ़ को भार्गवी से, 31 वर्षीय गड्डम को सलीमा से और 49 साल के ऑफिस अटेंडेंट राजू को अपनी 42 वर्षीय अधिकारी राधा मैडम से. राजू इस उम्र में भी अविवाहित है और गाँव के लोगों के ताने और उपहास झेलने का आदी भी. वहीं राधा मैडम विधवा हैं और उनकी एक 20 साल की बेटी भी है. हर प्रेम कहानी में एक न एक खलनायक है. कहीं धर्म, कहीं आयु और कहीं समाज. लेकिन अंत में सारी कहानियाँ आ कर मिलती हैं एक बिंदु पर!
डायरेक्टर: वेंकटेश माहा. बतौर निर्देशक ही नहीं बतौर लेखक भी इनकी पहली फ़िल्म. इसके पहले फ़िल्म जगत से कोई नाता नहीं! विशाखापट्नम के पास कांचरापलेम कस्बे में ही शूटिंग हुई और सभी (जी हाँ, सभी) कलाकार इसी जगह के निवासी हैं और किसी को भी पहले अभिनय का कोई तजुर्बा नहीं था. फ़िल्म को 'प्रेजेंट' किया था अपने भल्लालदेवा यानि राना दग्गुबाती ने.
कहाँ देखें: नेटफ़्लिक्स
5. फ़िदा (तेलुगु, 2017)
अमेरिका के एनआरआई राजू और उसका भाई वरुण भारत आते हैं राजू की शादी के लिए रेणुका को देखने. रेणुका की तेज़ तर्रार बहन और अपने पिता की बहुत दुलारी बेटी है भानुमती। एक तरफ राजू और रेणुका की शादी की रस्में आगे बढ़ती हैं तो दूसरी तरफ वरुण और भानुमती की दोस्ती, जो धीरे धीरे प्यार में बदलने लगती है. पर भानु अपने पिता को छोड़ कर अमेरिका नहीं जाना चाहती और जब उसे पता चलता है कि वरुण भारत नहीं आना चाहता तो प्यार में दरार आ जाती है. अब ये दरार कैसे भरती है, वरुण और भानु अपने बीच के फासलों को कैसे ख़त्म करते हैं, यही इस फ़िल्म की कहानी है.
डायरेक्टर: शेखर कम्मुला. तेलुगु सिनेमा का बहुत बड़ा नाम. ये फिल्म मलयालम और तमिल में ('भानुमती') भी डब हुई थी.
कहाँ देखें: अमेज़न प्राइम वीडियो, हॉटस्टार, व्यू सेलेक्ट
एक आखिरी बात. इन सभी फिल्मों का संगीत बेहद शानदार है. भाषा नहीं भी समझते हों तो भी सुनिए क्यूंकि संगीत की कोई भाषा तो होती नहीं ना!
तो जी इस प्रवचन का लब्बोलुआब ये, कि हाज़िर हैं मेरी पसंदीदा ग़ैर-हिंदी भाषाओं की पिछले 5 सालों में रिलीज़ हुई 5 प्रेम कहानियाँ:
1. कुम्बलांगी नाइट्स (मलयालम, 2019)
कहानी घूमती है चार भाइयों, साजी, बॉनी, बॉबी और फ्रैंकी, के इर्द गिर्द. फ्रैंकी सबसे छोटा है और फुटबॉल खेलता है. भाइयों की आपस में बिलकुल नहीं बनती है. घर में माँ-बाप हैं नहीं और उनकी आर्थिक हालत भी ज़्यादा अच्छी नहीं है. बॉबी को प्यार हो जाता है बेबी से जो अपनी माँ के साथ अपनी दीदी और जीजा के साथ उनके घर में रहती है और टूर गाइड का काम करती है. बेबी से शादी करने के लिए बॉबी भी आवारागर्दी छोड़ कर नौकरी करना शुरू कर देता है और साजी उनके रिश्ते की बात करने बेबी के जीजा के पास भी जाता है, पर फिर कुछ ऐसा होता है कि सारे भाई अपने गिले-शिक़वे भुला कर एक साथ आ जाते हैं!
डायरेक्टर: मधु सी नारायणन. बतौर निर्देशक पहली फ़िल्म. इसके पहले सिर्फ एक फिल्म में असिस्टेंट रहे थे. मलयालम फिल्मों के सुपरस्टार और इस फिल्म में विलेन के किरदार में काम कर रहे फ़हाद फ़ासिल इस फिल्म के सह-निर्माता भी हैं.
कहाँ देखें: अमेज़न प्राइम वीडियो
2. ओ कादल कनमनी (तमिल, 2015)
आदित्य एक वीडियो गेम डेवलपर है और अमेरिका जाने के ख्वाब रखता है. उसको मिलती है तारा जो एक वास्तु-कला (आर्किटेक्चर) की छात्रा है और पेरिस में पढ़ना चाहती है. दोनों को प्यार हो जाता है, पर शादी वगैरह में दोनों को कोई ख़ास दिलचस्पी नहीं है तो जब तक उनके सपने उन्हें अलग अलग राहों पर ना ले जाएं तब तक वो साथ रहेंगे और उसके बाद ओके टाटा बाय बाय. इसी विचारधारा के साथ वो लिव इन में रहने लगते हैं. पर उनके बूढ़े मकान मालिक दम्पति के बीच का प्यार देख कर उनका मन बदल जाता है.
डायरेक्टर: मणिरत्नम. 2000 में आयी 'अलाइ पायुथे' के बाद उनकी पहली शुद्ध देसी रोमांटिक फ़िल्म! 2 साल बाद आयी 'ओके जानू' देख कर ऐसा लगेगा जैसे किसी बेस्ट-सेलर किताब की चौराहे पर मिलने वाली फोटोकॉपी.
कहाँ देखें: हॉटस्टार. वीआईपी या प्रीमियम सब्सक्रिप्शन की आवश्यकता नहीं.
3. 96 (तमिल, 2018)
दसवीं कक्षा में एक दूसरे को दिल दे चुके राम और जानकी (जानू) 22 साल बाद स्कूल के रीयूनियन में मिलते हैं और वो भी सिर्फ एक रात के लिए. 22 साल पुराने पहले प्यार की यादों के साथ ही निकल कर आती हैं बहुत सारी बातें. इससे ज़्यादा इस फिल्म की कहानी के बारे में बता पाना, बिना स्पॉइलर दिए, संभव नहीं!
डायरेक्टर: सी प्रेम कुमार. बतौर निर्देशक इनकी भी पहली फ़िल्म. इसके पहले छायाकार (सिनेमेटोग्राफर) थे. फ़िल्म की नायिका का नाम प्रख्यात गायिका जानकी देवी के नाम पर रखा गया है और वो जानकी अम्मा के गीत ही गाती भी है.
कहाँ देखें: सन नेक्स्ट, जिओ सिनेमा. यूट्यूब पर किराये पर या खरीद कर देख सकते हैं
4. केयर ऑफ़ कांचरापलेम (तेलुगु, 2018)
चार प्रेम कहानियाँ, जीवन के अलग अलग पड़ावों पर. पांचवीं में पढ़ने वाले सुंदरम को प्यार होता है अपनी क्लास की सुनीता से, 23 साल के जोसेफ़ को भार्गवी से, 31 वर्षीय गड्डम को सलीमा से और 49 साल के ऑफिस अटेंडेंट राजू को अपनी 42 वर्षीय अधिकारी राधा मैडम से. राजू इस उम्र में भी अविवाहित है और गाँव के लोगों के ताने और उपहास झेलने का आदी भी. वहीं राधा मैडम विधवा हैं और उनकी एक 20 साल की बेटी भी है. हर प्रेम कहानी में एक न एक खलनायक है. कहीं धर्म, कहीं आयु और कहीं समाज. लेकिन अंत में सारी कहानियाँ आ कर मिलती हैं एक बिंदु पर!
डायरेक्टर: वेंकटेश माहा. बतौर निर्देशक ही नहीं बतौर लेखक भी इनकी पहली फ़िल्म. इसके पहले फ़िल्म जगत से कोई नाता नहीं! विशाखापट्नम के पास कांचरापलेम कस्बे में ही शूटिंग हुई और सभी (जी हाँ, सभी) कलाकार इसी जगह के निवासी हैं और किसी को भी पहले अभिनय का कोई तजुर्बा नहीं था. फ़िल्म को 'प्रेजेंट' किया था अपने भल्लालदेवा यानि राना दग्गुबाती ने.
कहाँ देखें: नेटफ़्लिक्स
5. फ़िदा (तेलुगु, 2017)
अमेरिका के एनआरआई राजू और उसका भाई वरुण भारत आते हैं राजू की शादी के लिए रेणुका को देखने. रेणुका की तेज़ तर्रार बहन और अपने पिता की बहुत दुलारी बेटी है भानुमती। एक तरफ राजू और रेणुका की शादी की रस्में आगे बढ़ती हैं तो दूसरी तरफ वरुण और भानुमती की दोस्ती, जो धीरे धीरे प्यार में बदलने लगती है. पर भानु अपने पिता को छोड़ कर अमेरिका नहीं जाना चाहती और जब उसे पता चलता है कि वरुण भारत नहीं आना चाहता तो प्यार में दरार आ जाती है. अब ये दरार कैसे भरती है, वरुण और भानु अपने बीच के फासलों को कैसे ख़त्म करते हैं, यही इस फ़िल्म की कहानी है.
डायरेक्टर: शेखर कम्मुला. तेलुगु सिनेमा का बहुत बड़ा नाम. ये फिल्म मलयालम और तमिल में ('भानुमती') भी डब हुई थी.
कहाँ देखें: अमेज़न प्राइम वीडियो, हॉटस्टार, व्यू सेलेक्ट
एक आखिरी बात. इन सभी फिल्मों का संगीत बेहद शानदार है. भाषा नहीं भी समझते हों तो भी सुनिए क्यूंकि संगीत की कोई भाषा तो होती नहीं ना!