शुक्रवार, 24 जून 2011

मेरी शादी का पहला साल!

हमें एक हुए ,
एक साल हो गया।
अरे पता ही नहीं चला,
ये तो कमाल हो गया।

अभी कल ही तो
मैं पहली बार तुमसे मिलने आया था,
तुम कुछ शरमाई हुई सी थी और
शायद मैं भी कुछ घबराया था.

कल ही तो हमने अपने घर के लिए
कितने सारे सपने सजाये थे।
और जब बारिश का पानी खिड़की से अन्दर आ गया
तब भीगे हुए गद्दे उठाये थे!

कल ही तो हमारे
रूठने मनाने की शुरुआत हुई थी।
और जब मैंने डांटा तो तुम्हारे
आंसुओं की बरसात हुई थी!

कल ही तो हम
तेज़ बारिश में भीगते हुए घर आये थे,
धूप नहीं निकली थी अगले हफ्ते
और कमरे में पंखे के नीचे कपड़े सुखाये थे।

कल ही तो हमने
अपने सपनों को कुछ नाम दिए थे,
कल ही तो हमने एक-दूसरे को
अपने सुबह और शाम दिए थे।

कल ही तो ज़िन्दगी ने
कंधे पर हौले से छू के मुझसे कहा
तुम अकेले थे ना
इसलिए एक साथी दे दिया।

कल ही कल में वो
सारे पल ना जाने कैसे बीते।
अब सोचता हूँ तो याद आते हैं वो सारे पल,
मुस्कुराते, गुनगुनाते, हँसते और जीते!

अभी तो एक लम्बा सफ़र है,
पर ख़ुशी तो होती है ना जब अच्छी शुरुआत हो।
आगे बहुत मुश्किलें आएंगी ज़रूर,
पर चिंता नहीं मुझे जब तुम साथ हो।