रविवार, 27 अप्रैल 2008

लीडर्स बनाम चीअरलीडर्स !

अभी कुछ ही दिन पहले ख़बर पढी थी कि संसद में मंहगाई पर विवाद के समय सदन लगभग खाली था, और बाहर सारी पार्टियां आम आदमी की हितैषी बनी चक्का जाम करने में जुटी थीं । यह और बात कि उनकी इस ड्रामेबाजी से आम आदमी को सिर्फ़ परेशानी ही हुई। कौन सी नयी बात है!

पर अभी IPL में चीअरलीडर्स के कपड़ों पर बहस करने में कोई नेता किसी से पीछे नहीं रहा। जो बात कोई मुद्दा ही नहीं थी अचानक पहले पन्ने की सुर्खी बन गयी! आजकल नेताओं का टीवी प्रेम किसी से छुपा नहीं है, सदन में जाकर सवाल जवाब करें न करें, कैबिनेट कमेटी की बैठक में जाएं न जाएं पर टीवी स्टूडियो में बैठ कर बहस करवा लो! २४ घंटे तैयार मिलेंगे। रवि शंकर प्रसाद, राजीव प्रताप रूडी, गुरुदास दास दासगुप्ता वगैरह ऐसे ही कुछ टीवी नेता हैं।

नेपाल में माओवादी सरकार बना रहे हैं, त्रिपुरा में फ़िर से बर्ड फ्लू फैलने के आसार हैं, तेल के दाम रोज़ नयी ऊँचाई छू रहे हैं, दिल्ली में BRTS परियोजना बुरी तरह विफल हो गयी, भोजन संकट मुंह बाए खड़ा है, हॉकी की दुर्दशा है न के पी एस गिल इस्तीफा देने को तैयार नहीं हैं और न जाने क्या क्या समस्याएं सामने खड़ी हैं, पर हमारे महान नेताओं के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय हैं चीअर लीडर्स

अब कोई इनसे यह पूछो कि यह लोग कुछ काम भी करते हैं या बस IPL के मैच ही देखते हैं! लेकिन सीधी सी बात यह समझो कि किसी गंभीर मुद्दे पे सरकार को घेरने से चर्चा तो मिलेगी नहीं, इस तरह के घटिया मुद्दों पर किसी टीवी कैमरे के आगे २ मिनट नारा लगा दिया तो हर समाचार चैनल पर सुर्खियों में आ ही जाएंगे। वैसे भी मीडिया को गंभीर मसलों को भी मिर्च मसाला लगाने की आदत हो गयी है , और इस मुद्दे पर तो ख़बर के बहाने काफी कुछ दिखाने सुनाने को मिलेगा!

और देखने को जनता तो बैठी ही है!